मक्खनपुर पढ़ने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?
लेखक के साथ मक्खनपुर में पढ़ने वाली बच्चों की टोली पूरी वानर टोली थी। एक दिन जब वे लोग स्कूल से लौट रहे थे तो उनको रास्ते में एक कुआँ दिखाई दिया। सभी बच्चों के मन में कुँए में ढेला फेकने की सूझी। बच्चों ने कुए में ढेला फेंका और जैसे ही ढेला कुँए में गिरा वैसे ही सभी को एक फुसकार सुनाई पड़ी। वह फुफकार एक सांप की थी जो उसमे गिर गया था। उसके बाद सभी बच्चे उछल - उछल कर एक - एक करके उसमें ढेला फेंकने लगे और उससे आने वाली सांप की क्रोधपूर्ण ध्वनि का मजा लेने लगे। ऐसा करना सभी बच्चों की आदत सी हो गयी थी। इसलिए गाँव से मक्खनपुर जाते समय और मक्खनपुर से लौटते समय सभी बच्चे कुँए में प्रतिदिन ढेला फेंकते थे ।